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Chai Par Sameeksha: बिहार में आगे क्या होने वाला है, राम मंदिर पर इतनी सियासत क्यों?

प्रभासाक्षी के साप्ताहिक कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में इस सप्ताह हमने राम मंदिर उद्घाटन समारोह को लेकर हो रही राजनीति और जदयू के भीतर बवाल पर चर्चा की। हमेशा की तरह इस कार्यक्रम में मौजूद रहे प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे जी। जदयू में उठापटक पर नीरज कुमार दुबे ने कहा कि नीतीश कुमार के पुराने इतिहास को देखें तो इसमें किसी को आचार्य नहीं है। पार्टी में जो कुछ भी हुआ है उसका अनुमान पिछले कई दिनों से लगाया जा रहा था। दूसरी ओर राम मंदिर मुद्दे को लेकर हो रही राजनीति पर कहा कि निमंत्रण आए या नहीं आए, सभी को वहां जाना चाहिए। भगवान राम सभी के हैं। 

नीरज कुमार दुबे ने कहा कि अगर किसी पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनाव से पहले खुद हथियार डाल दे तो इसका मतलब साफ है कि वह स्वार्थी हैं या उन्हें राष्ट्रहित की चिंता नहीं। उन्होंने कहा कि इससे पता चलता है कि जनता दल यूनाइटेड के जो नेता है वह खुद की चिंता करते हैं राष्ट्र की चिंता नहीं करते हैं। उन्होंने कहा कि देशभर में ऐसे कई नेता हैं जो राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के साथ-साथ चुनाव भी लड़ते हैं। हम अमित शाह का ही उदाहरण ले लेते हैं। 2019 में राष्ट्रीय अध्यक्ष ने बावजूद उन्होंने चुनाव लड़ा था। उन्होंने कहा कि जदयू का इतिहास देखें तो जॉर्ज फर्नांडीज से लेकर हाल में आरसीपी सिंह तक, सब की विदाई ऐसे ही हुई है। पार्टी में सब कुछ नीतीश के हिसाब से ही चलता है। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार अपनी पार्टी पर पूरी तरीके से कब्जा रखते हैं और जब भी उन्हें लगता है कि कोई उनके हाथ से बाहर जा रहा है या पार्टी से दूर जा रहा है, कोई उनके मुकाबले खड़ा हो रहा है तो नीतीश उसे व्यक्ति को किनारा कर ही देते हैं। 

नीरज दुबे ने कहा कि यह सिर्फ पार्टी में ही नहीं होता है, जब नीतीश कुमार ने जीतन राम मांझी को सरकार की जिम्मेदारी सौंपी थी और उन्होंने खुद से निर्णय लेना शुरू किया तो भी नीतीश की बेचैनी पड़ गई थी। जिस तरीके से ललन सिंह को लेकर पिछले दिनों अटकलें चल रही थी, उसके बाद से साफ तौर पर ऐसा लग रहा था कि नीतीश कुमार बहुत ज्यादा दिनों तक इस चलने नहीं देंगे। नीतीश अपने नेताओं पर लगातार नजर रखते हैं। नीतीश राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी हैं, तभी तो वह दो दशकों से मुख्यमंत्री बने हुए हैं। नीतीश कुमार को जब लगा की स्थिति हाथ से निकल सकती है तभी जदयू की बैठक बुलाई गई और निर्णय लिया गया है। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि बिहार की राजनीति में इसका असर पड़ने वाला है। 

राम मंदिर को लेकर हो रही राजनीति पर नीरज कुमार दुबे ने कहा कि यह हम सब का सौभाग्य है कि हम उसे समय मौजूद हैं जब राम मंदिर का निर्माण चल रहा है और उद्घाटन हो रहा है। उन्होंने कहा कि 2024 का जनवरी महीना भारत के लिए ऐतिहासिक है। राम मंदिर को लेकर किसी को राजनीति नहीं करनी चाहिए। यह हमारी आस्था का विषय है। जिसे उद्घाटन समारोह में आना है, उसे निमंत्रण का इंतजार नहीं करना चाहिए। रामनगरी अयोध्या विकास के रास्ते पर है। इस पवित्र नगरी का भाग्योदय हो रहा है। उन्होंने कहा कि जिनको निमंत्रण मिला है वह जाना नहीं चाहते हैं, जिनको नहीं मिला वह निमंत्रण का इंतजार कर रहे हैं और कई लोग ऐसे भी हैं जो वोट बैंक के हिसाब से फैसला लेना चाहते हैं। उन्होंने साफ तौर पर कहा कि अगर कोई राम भक्त है तो उसे निमंत्रण की जरूरत नहीं। उसे अयोध्या जरूर जाना चाहिए। 

– अंकित सिंह


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