ज्योतिष

साल की पहली पूर्णिमा पर जरूर करें ये काम, सारी बाधाएं होंगी दूर

पौष पूर्णिमा: हिंदू धर्म में पौष माह की पूर्णिमा का महत्व है। शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को पौष पूर्णिमा कहा जाता है। हिंदू धर्म और भारतीय जनजीवन में पूर्णिमा तिथि का सबसे बड़ा महत्व है। पूर्णिमा की तिथि चंद्रमा को प्रिय होती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन चंद्रमा का आकार पूर्ण होता है। पौष पूर्णिमा के दिन दान, स्नान और सूर्य देव को अर्घ्य देने का विशेष महत्व होता है। पौष पूर्णिमा के दिन काशी, विविधता और हरिद्वार में गंगा स्नान का बड़ा महत्व है। इस बार की पौष पूर्णिमा यानि 25 जनवरी को है।

पौष पूर्णिमा का शुभ अवसर

पौष पूर्णिमा के दिन अभिजीत महोत्सव दोपहर 12:12 बजे से 12:55 बजे तक है। इस दिन पुनर्वसु नक्षत्र, सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग और गुरु पुष्य योग जैसे अद्भुत संयोग बन रहे हैं। इस शुभ योग में गए पुण्य और धार्मिक कार्यकर्ताओं का सबसे अधिक फल मिलता है। इस दिन लोग प्रात:काल में स्नान के बाद सूर्य देव को जल से अर्घ्य देकर व्रत और पूजा का संकल्प लेते हैं।

पौष पूर्णिमा के दिन जरूर करें ये काम

पौष पूर्णिमा पर स्नान, दान, जप और व्रत करने से पुण्य की प्राप्ति होती है। इस दिन स्नान, दान और जप से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस दिन प्रातःकाल स्नान से पहले व्रत का संकल्प लें। पवित्र नदी या कुंड में स्नान करें और स्नान से पूर्व वरुण देव का स्मरण करें। स्नान के बाद सूर्य मंत्र का उच्चारण करते हुए सूर्य देव को अर्घ्य देना चाहिए। इसके बाद भगवान मधुसूदन की पूजा करनी चाहिए और उन्हें नैवेद्य करना चाहिए। किसी भी जरूरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन, तिल, गुड़, किशमिश का दान कर कर विदा करें।

पौष पूर्णिमा का महत्व

ज्योतिष शास्त्र में पौष माह में सूर्य देव का माह बताया गया है। इस मास में सूर्य देव की आराधना से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसलिए पौष पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान और सूर्य देव को अर्घ्य देने की परंपरा है। पौष मास सूर्य देव का माह होता है जबकि पूर्णिमा चंद्रमा की तिथि होती है। इसलिए सूर्य चंद्रमा और अदभुत संगम पौष पूर्णिमा की तिथि होती है। इस दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों के पूजन से मन पूरी तरह दूर हैं और जीवन में आने वाली साड़ी बाधाएं दूर हैं।

पौष पूर्णिमा पर होने वाला समारोह

पौष पूर्णिमा पर देश के विभिन्न तीर्थ स्थानों पर स्नान और धार्मिक आयोजन होते हैं। इस दिन से तीर्थराज प्रयाग में माघ महोत्सव का आयोजन शुरू होता है। इस धार्मिक उत्सव में स्नान का विशेष महत्व बताया गया है। धार्मिक मान्यता के अनुसार पौष पूर्णिमा पर ही माघ माह के स्नान का संकल्प लेना चाहिए।

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