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जान लेंगे इन शब्दों का अर्थ तो बजट समझना हो जाएगा बच्चों का खेल, अंतरिम बजट का कैसा रहा है इतिहास, आम लोगों को मिलेगा इस बार क्या खास, सारे सवालों के जवाब यहां है

हर साल 1 फरवरी का इंतजार प्रत्येक देशवासी को रहता है। बजट आने तो वाला है लेकिन आम लोगों को बजट के कुछ भारी-भरकम टर्म समझ नहीं आते हैं। उन्हें इन शब्दों के मतलब समझा दिए जाएं तो मनचाह नी लाइफ हो जाए। इसी उलझन को दूर करने के लिए, बजट से आम आदमी को क्या उम्मीद हैं और इससे जुड़ी कुछ दिलचस्प घटनाओं को रूबरू करवाएंगे। इस रिपोर्ट में हम बजट की पूरी तस्वीर आपको समझाने की कोशिश करेंगे। 

फ्रांस से आया बजट नाम

बजट नाम फ्रांस से आया है। फ्रांस के शब्द बुगेट को ही  बिगड़े हुए रूप बजट कहा जाने लगा। बुगेट का असल अर्थ एक छोटा चमड़े का बैग या बटुआ होता है। छठी शताब्दी में बाइबिल के एक अनुवाद में बोगे शब्द का इस्तेमाल देखा गया। वहां भी इस शब्द का इस्तेमाल चमड़े के बैग को बताने के लिए किया गया। बोगे शब्द फ्रांस के बोल्गिगी शब्द से आया था। जो लैटिन के बुल्गा और उससे पहले कैल्टिक के बोल्ग से निकला था। इन शब्दों का निचोड़ एक ही था एक बैग या बोरी। इसे बोलचाल की भाषा में लोग कहने लगे अपना बजट दिखाओ, तुम्हारे बटुए में क्या है। साल बदली, दुनिया बदली और बजट शब्द का संदर्भ भी बदला। ब्रिटेन के चांसलर ऑफ एक्स चेकर ने अपने देश की आर्थिक नीतियों को पेश करने के लिए एक चमड़े के बैग यागी बुगेट में रखकर लाते और जिसे संसद में पेश किया जाता था। तभी बजट शब्द का इस्तेमाल आर्थिक जगत से जुड़ गया। 

मोदी 2.0 का आखिरी बजट  

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के 2024 बजट का अनावरण करने के लिए तैयार हैं। पिछले तीन पूर्ण केंद्रीय बजटों की तरह, बजट 2024 भी पेपरलेस रूप में पेश किया जाएगा। यह दूसरी मोदी सरकार का आखिरी बजट होगा। बजट 2024 के लिए बजट तैयारी प्रक्रिया के अंतिम चरण का प्रतीक हलवा समारोह 24 जनवरी को नॉर्थ ब्लॉक में आयोजित किया गया था। इस अवसर पर सीतारमण और केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री डॉ. भागवत किसनराव कराड सहित कई अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। लेकिन आम आदमी बजट से क्या चाहता है? आईए ये जानने की कोशिश करते है। सबसे पहले, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि सीतारमण इस वर्ष पूर्ण बजट पेश नहीं करेंगी। यह बजट अंतरिम बजट होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि 2024 चुनावी साल है। ऐसे मामलों में केंद्र सरकार एक अंतरिम बजट पेश करती है जो खर्चों और आय का वर्णन करता है। यह बजट नई सरकार बनने तक सरकार को अपने वित्तीय दायित्वों का प्रबंधन करने में मदद करता है। इकोनॉमिक टाइम्स ने केंद्रीय बजट से पहले एक सर्वेक्षण कराया, जिसमें कुछ दिलचस्प नतीजे सामने आए। इसमें बताया गया कि 49 प्रतिशत से अधिक उत्तरदाताओं ने कहा कि बजट पूर्ण बजट के लिए आधार तैयार करेगा। अन्य 26.5 प्रतिशत को उम्मीद है कि सीतारमण ‘सामान्य आर्थिक मार्गदर्शन’ देंगी। उत्तरदाताओं में से 38.4 प्रतिशत कर प्रणाली में प्रत्यक्ष बदलाव चाहते हैं। अन्य 24.7 प्रतिशत चाहते हैं कि ईंधन और शराब को जीएसटी के दायरे में लाया जाए। सर्वेक्षण में शामिल 22 प्रतिशत लोग चाहते हैं कि पूर्व में कारोबार करना आसान बनाया जाए। 15 प्रतिशत को उम्मीद है कि प्रौद्योगिकी और कृत्रिम बुद्धिमत्ता में कार्यक्रमों की घोषणा की जाएगी।

टैक्स स्लैब में बदलाव

विशेषज्ञों का कहना है कि वेतनभोगी मूल छूट सीमा में बढ़ोतरी की उम्मीद कर रहे हैं। टैक्स2विन के सीईओ और सह-संस्थापक अभिषेक सोनी ने मिंट को बताया बजट 2024 के साथ, वेतनभोगी व्यक्ति नई और पुरानी दोनों कर व्यवस्थाओं के तहत मूल छूट सीमा में वृद्धि की उम्मीद कर रहे हैं और वे सीमा में वृद्धि भी देख रहे हैं। दोनों कर व्यवस्थाओं के तहत मानक कटौती। वे नई व्यवस्था के तहत एचआरए छूट और स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम कटौती की भी उम्मीद कर रहे हैं। मुंबई स्थित कर और निवेश विशेषज्ञ बलवंत जैन ने आउटलेट को बताया कि 1 लाख की पिछली सीमा 2003 में तय की गई थी। ₹1 लाख की मूल सीमा तय किए हुए लगभग 18 साल हो गए हैं। 2014 में इसमें केवल 50 प्रतिशत की वृद्धि की गई, जो सालाना तीन प्रतिशत से भी कम है। यह वार्षिक औसत वृद्धि इसी अवधि के दौरान औसत मुद्रास्फीति के बराबर भी नहीं है। इसे सीधे बढ़ाकर न्यूनतम ₹2.50 लाख किया जाना चाहिए। वित्त मंत्री ने 2023 में नई व्यवस्था चुनने वालों के लिए टैक्स स्लैब में बदलाव किया था। शेयर इंडिया फिनकैप के कार्यकारी निदेशक अगम गुप्ता ने कहा 2014 से कर स्लैब अपरिवर्तित रहे हैं, जिससे परिवारों पर हर साल उच्च वास्तविक कर दरों का बोझ बढ़ रहा है। कर स्लैब की सीमा को मुद्रास्फीति पर अनुक्रमित करने से मध्यम वर्ग के उपभोक्ताओं के हाथों में राजकोषीय क्षति के बिना लागत दबाव का मुकाबला करने के लिए अधिक पैसा आएगा।

चुनाव से पहले अंतरिम बजट में बड़ी घोषणाएं? 

जेएम फाइनेंशियल एसेट मैनेजमेंट लिमिटेड के सीआईओ सतीश रामनाथन का कहना है कि मौजूदा मूड को देखते हुए, हमें बजट में किसी लोकलुभावनवाद की उम्मीद नहीं है। हमें उम्मीद नहीं है कि सरकार चुनाव से पहले अंतरिम बजट में बड़ी घोषणाएं करेगी। वे बुनियादी ढांचे पर खर्च और सामाजिक बुनियादी ढांचे पर खर्च पर निरंतर ध्यान देने के साथ व्यावहारिक राजकोषीय प्रबंधन के पथ पर आगे बढ़ने के अपने इरादे का संकेत दे सकते हैं। टैक्स स्लैब और दरों को कुछ तर्कसंगत बनाया जा सकता है। एक बजट जो मोटे तौर पर पिछले रुझानों को प्रतिबिंबित करता है और साथ ही आगे की राह के लिए बड़ी तस्वीर पेश करता है, उसका बाजार द्वारा स्वागत किया जा सकता है और यह अर्थव्यवस्था का समर्थन कर सकता है।

अंतरिम बजट की कैसी है नजीर?

2019 में आम चुनाव से पहले वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने अंतरिम बजट पेश किया था। उन्होंने स्टैंडर्ड डिडक्शन को 40 हजार से बढ़ाकर 50 हजार रुपये कर दिया। गोयल ने किसानों के लिए 6000 रुपये सालाना की पीएम किसान सम्मान निधि की घोषणा की और असंगठित क्षेत्र के वर्कर्स के लिए पेंशन ऐसे उम्मीद, चोटरों को में मदद कवरेज का भी ऐलान किया। 2019 में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने गोयल के कदमों की आलोचना की थी। लेकिन UPA 2 सरकार में वित्त मंत्री रहते हुए चिदंबरम ने जव 2014 में अंतरिम बजट पेश किया था, तव उन्होंने भी कुछ ऐसा ही किया था। उन्होंने कार, बाइक, फ्रिज, कंप्यूटर और मोबाइल फोन जैसी चीजों पर टैक्स घटा दिया। एजुकेशन लोन पर टैक्स छूट का ऐलान किया। पूर्व सैनिकों की वन रैंक-वन पेंशन की मांग स्वीकार की और इसके लिए एक बजट भी एलोकेट कर दिया। 2004-05 के अंतरिम बजट में वाजपेयी सरकार के वित्त मंत्री जसवंत सिंह ने स्टांप ड्यूटी से जुड़े बदलावों का ऐलान किया था। साथ ही, चाय और चीनी उद्योगों के लिए पैकेज की घोषणा की। उन्होंने महंगाई भत्ते को बेसिक सैलरी के साथ मर्ज करने का ऐलान भी किया था।

बजट के इतिहास से जुड़ी कुछ बातें 

भारत का पहला बजट पाकिस्तान के प्रधानमंत्री लियाकत अली खान ने पेश किया था। 

मोरारजी देसाई ऐसे एकलौते वित्त मंत्री रहे जिन्होंने सबसे ज्यादा 10 बार  बजट पेश किया। 

1973 और 1974 के  बजट को भारत के इतिहास में ब्लैक बजट का दर्जा हासिल है।  

बजट से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण शब्द

फाइनेंस बिल: संविधान के अनुच्छेद 110 में परिभाषित किया गया है, वित्त विधेयक एक मनी  बिल है। वित्त विधेयक केंद्रीय बजट का एक हिस्सा है, जिसमें देश के वित्त मंत्री द्वारा प्रस्तावित कराधान में बदलाव के लिए आवश्यक सभी कानूनी संशोधनों का विवरण होता है।

बजट इस्टिमेट: यह अनुमान लगाने की प्रक्रिया है कि किसी निश्चित अवधि के दौरान क्या लागत आएगी और उन लागतों को कवर करने के लिए कितने पैसे की आवश्यकता होगी। इसका उपयोग अक्सर व्यवसाय में संसाधनों को कहां आवंटित किया जाए, इसके बारे में सूचित निर्णय लेने के लिए किया जाता है।

राजकोषीय घाटा: राजकोषीय घाटा वह राशि है जिससे सरकार का कुल खर्च उसकी कुल कमाई से अधिक हो जाता है। सैद्धांतिक रूप से कम संख्या का मतलब है कि अर्थव्यवस्था बेहतर प्रदर्शन कर रही है।

राजस्व घाटा: जब सरकार का कुल राजस्व व्यय उसकी कुल राजस्व प्राप्तियों से अधिक हो जाता है, अर्थात शुद्ध आय शुद्ध व्यय से कम हो जाती है, तो राजस्व घाटा होता है। यह घाटा तब देखा जाता है जब राजस्व या व्यय की वास्तविक राशि बजटीय राजस्व या व्यय के अनुरूप नहीं होती है।

डायरेक्ट टैक्स: प्रत्यक्ष कर उस कर को संदर्भित करता है जहां व्यक्ति या संगठन बिचौलियों के बिना सीधे सरकार को भुगतान करता है। इनकम टैक्स, कॉरपोरेट टैक्स, प्रॉपर्टी टैक्स इत्यादि इस श्रेणी में आते हैं।

राजस्व व्यय: राजस्व व्यय सरकारी विभागों और विभिन्न सेवाओं के सामान्य संचालन, सरकार द्वारा लिए गए ऋण पर ब्याज शुल्क, सब्सिडी आदि के लिए व्यय है। 


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