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ज्यादातर दवाइयां आखिर कड़वी ही क्यों होती हैं ? 99% लोगों के पास नहीं है इस सवाल का जवाब, क्या आपको पता है ?

औषधि का स्वाद कड़वा: बीमार होने पर लोग दवा (दवा) ढूंढते हैं लेकिन उस दवा का कड़वापन उनकी बीमारी पर काफी समय तक बना रहता है। कई लोग कडवेपन के साथ ड्रग से ही जुड़े हुए हैं। सर्दी हो या खांसी, किसी भी बीमारी की होने वाली दवा खाना एक मजबूरी है लेकिन कई बार लोग सोचते हैं कि आखिर दवा कड़वी ही क्यों बनाई जाती है। हालाँकि ऐसा नहीं है कि सभी औषधि कड़वी होती हैं, कुछ औषधियों का स्वाद मीठा भी होता है लेकिन ज्यादातर औषधि कड़वी होती हैं। अगर आप भी कभी-कभी ये चुपचाप बैठे हों तो आपको इसकी वजह बताते हैं।

क्यों होता है चॉकलेट का स्वाद

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि किसी भी दवा का स्वाद कड़वा होता है क्योंकि इसमें कई तरह के कंपाउंड मिलते हैं। प्लांट्स कंपनी फाउंडेशन के साथ-साथ कुछ मायकोमैट्रिक्स में भी फ्रोज़न और तरह-तरह के कैमिकल्स मिलते हैं। में बने ये कैमिकल अपने पिज्जा के रूप में कडवे ही होते हैं। इसलिए दवा भी कड़वे ही स्वाद है. लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि हर दवा का वीडिया खराब है। देखा जाए तो हर औषधि स्वभाविक रूप से कड़वी होती है लेकिन कई बार औषधियों में शुगर मिलाई जाती है। कुछ औषधियों पर शुगर कोटिंग की जाती है जिससे औषधियों के मुंह में जाने पर कड़वापन महसूस नहीं होता है।

कैप्सूल क्यों शामिल हैं

आप सोच रहे होंगे कि जब दवा खाई जा सकती है तो दवा के कैप्सूल क्यों डाले जाते हैं। इसके पीछे भी एक वजह है. कुछ सीखना बेहद कड़वी होती हैं. इतनी कड़वी कि अगर मुंह में रखा जाए तो डिजाईन नहीं किया जा सकता. मक्के की गोलियों का फॉर्म बनाया जाता है। कैप्सूल के ऊपरी परत के कैप्सूल डिस्ट्रिक्टिन से निकलते हैं और पेट के अंदर जाते हैं, ये तीन महीने तक औऱ दवा पेट में डाली जाती है। कैप्सूल के माध्यम से कडवी दवा जीभ के संपर्क में नहीं आती और इस तरह की कडवी दवा खाई जा सकती है।

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