Shark Tank India में दिखा AI Drone, टेक-ऑफ करने से लेकर लैंड करने तक अपने-आप करता है सभी काम
एआई ड्रोन: आर्टिफिशियल टेक्नोलॉजी यानी आर्किटेक्चर की चर्चा भारत समेत पूरी दुनिया में हो रही है। पिछले कुछ महीनों से इस तकनीक को अमेरिका की मान्यता प्राप्त है, और धीरे-धीरे धीरे-धीरे हरेक क्षेत्र में इस तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। भारत में नए ट्रेलर का ट्रॉम वाले टीवी शो शार्क टैंक इंडिया (शार्क टैंक इंडिया) में एक मोटो की मदद से चलने वाला डूबता हुआ देखा गया है।
भारत में शार्क टैंक ने तूफ़ानी तूफ़ान देखा
असल, शार्क टैंक इंडिया में लोग नए-नए स्टैटिस्टिक्स उपकरण लेकर आते हैं, और फंडिंग की मांग करते हैं। इस बार शार्क टैंक में दो लोग स्पेशल एक मैकेनिकल के साथ आए हैं। वे एक राक्षसी देवता पेश किये गये हैं। इसे दो लोगों ने पेश किया है, जिनका नाम प्रेम साई और राजेश राजेश लू बताते हैं।
इन दोनों ने मिलकर एक प्रोजेक्ट शुरू किया है, जिसका नाम VECROS है। प्रेम साई और राजेश्री दोनों इस कंपनी के संस्थापक हैं और इन दोनों ने शार्क टैंक इंडिया के एक प्रोग्राम में अपनी कंपनी के बारे में बताया है और एक ड्रमर ड्रमिन पेश किया है, जिसका नाम एआई ड्रोन एथेरा है।
सभी काम आपके साथ-साथ सूर्यास्त सूर्यास्त
इन दोनों लोगों ने इस फिल्म के बारे में बताया था। उन्होंने इस टीवी कार्यक्रम में अपने साम्राज्य को शोरूम दिखाया। किसी भी छात्र के लिए इस अवलोकन की आवश्यकता नहीं थी। सूर्योदय ने अपना टेकऑफ़ किया, अपनी पूरी उड़ान भरी, कमरे में गया, पूरे कमरे को स्कैन किया और फिर बालकनी की ज़मीन भी ले ली।
इस दौरान इस समुद्री जहाज़ ने एक 3डी मानचित्र भी बनाया, जिसे कार्यक्रम के दौरान टीवी स्क्रीन पर भी दिखाया गया। इसके अलावा इस राक्षस ने अपने-आप लोगों के कमरे का डिज़ाइन भी दिखाया, और जिस रूट से लेकर अपने-आप लोगों के कमरे का डिज़ाइन भी दिखाया।
आखिर किसमें होगा मसाला दिग्गज का उपयोग?
एथेरा के संस्थापक प्रेम साई राजेश ने बताया कि एआई ड्रोन एथेरा इंडिया का पहला रॉकेट लाइफ स्पा पार्टिकल आर्टिफिशियल साइंटिस्ट जेसन यानी खुद से चलने वाला डूब गया है। फाउंडर्स का कहना है कि इस समुद्र तट का उपयोग रेलवे ब्रिज मॉनिटरिंग, रियाल वर्कशॉप, इंपेक्शन मॉनिटरिंग जैसे कई क्षेत्रों में किया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि समुद्री जहाज़ों में कुल 8 चट्टानों का प्रयोग किया गया है। उन्होंने दावा किया कि मंदिर की मदद से चलने वाला यह सूर्योदय का दृश्य 360 डिग्री कोण पर रहता है। इसके अलावा इस सूर्यास्त के रास्ते में अगर कोई इंसान या समान जाता है तो यह खुद ही अपनी सुरक्षा कर लेता है, और दूर चला जाता है।
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