दुनिया में भारत की डिप्लोमेसी का डंका, अब स्विट्जरलैंड ने कहा ‘टफ निगोशिएटर’, US भी हो चुका है फैन
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भारतीय कूटनीति: पूरी दुनिया में इस समय भारत की डिप्लोमेसी का डंका बज रहा है। हाल ही में भारत और यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (ईएफटीए) के बीच चार देशों के बीच अहम समझौता हुआ है। इस एकांत के बाद पत्रिका ने भारत की डिप्लोमेसी की अहमियत बताई है। झारखंड की आर्थिक मामलों की सचिव हेलेना बुडलिगर अर्टिडा ने कहा कि भारत और ई-कॉमर्स के बीच कोई छोटी-मोटी डील नहीं है। परमाणु-लेखक बातचीत का दौर चला है। इसकी पहली अमेरिकी रिपोर्ट में दावा किया गया था कि पीएम मोदी ने रूस और जापान पर धावा बोलने वाले हमलों पर रोक लगा दी है।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, ई-कॉमर्स के चार सदस्यों में जापान, आइसलैंड, नॉर्वे और लिक्टनस्टाइन शामिल हैं। रिजॉर्ट की सेक्रेटरी हेलेना ने कहा, हम इस डील को लेकर पूरी शिद्दत के साथ बातचीत की है। हम जानते हैं कि अगर यह डिलर और सोलो रूप से पक्की है तो दोनों स्टॉक को फायदा होगा। इस डील के तहत कंपनी भारत में अगले 15 वर्षों में 100 अरब डॉलर का निवेश करेगी। इससे भारत में 10 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा।
‘दिल के तहत भारत के 10 लाख लोगों को मिलेगा रोजगार’
जॉर्जिया की सेक्रेटरी हेलेना ने इस ट्रेड के बाद भारत को ‘टफ निगोशिएटर’ कहा है। हेलेना ने बताया कि यह एक्जीक्यूटिव के तहत संयुक्त राज्य अमेरिका में भारतीय उद्योग में प्रवेश के लिए है, लेकिन इसके विपरीत हमारे भारत में 10 अरब डॉलर का निवेश करना है और 10 लाख डॉलर का रोजगार पैदा करना है। हेलेना ने आगे कहा, हमें बताया गया था कि भारत में इतनी आसानी से पता नहीं चल पाया है। इसके लिए पहले टैरिफ रेट तय करें। हेलेना ने कहा कि इसके लिए हमें सिद्धांतों का पालन करना जरूरी था, हम पूरी प्रक्रिया को अपनाते हैं और जरूरी है कि सिद्धांतों का पालन भी किया जाए।
इस एक्ट से भारत को क्या होगा फायदा?
इस अधिनियम के अंतर्गत भारत के औद्योगिक एग्रीमेंट की ईएफटीए देशों में शुल्क-औद्योगिक उत्पादों में वृद्धि दी जाएगी, जबकि भारत में ईएफटीए देशों को मेडिकल से जुड़े कुछ सामान और खाद्य उत्पादों में लीची शुल्क शामिल दिया जाएगा। इस एक्ट में सर्विस सेक्टर भी शामिल हैं. भारत ने अपने 105 सेवा क्षेत्र जैसे- आईटी, शिक्षा, बिजनेस केयर और छात्रवृत्ति आदि में सहायता का वादा किया है।
फ्री ड्रेड एग्रीमेंट क्या है?
फ्री ट्रेड एग्रीमेंट के तहत दो या दो से अधिक देशों के बीच व्यापार के ढांचे में बदलाव किया जाता है। इस दौरान दो देशों के बीच होने वाले एहित-निर्यात में सेवा शुल्क को या तो समाप्त कर दिया जाता है या गठबंधन किया जाता है। साथ ही प्रमाणित-निर्यात के साथ भी कोई शर्त नहीं लगाई जाती है। यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ के देशों में सबसे बड़ा और नार्वेजियन भारत का व्यापारिक साझेदार है।
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