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राजस्थान में रेप पीड़िता के कपड़े उतारने के मामले में HC ने दिया बड़ा आदेश, जानें- क्या कहा?

राजस्थान नवीनतम समाचार: राजस्थान में मैजिस्ट्रेट की ओर से अप्रैल में बैस्ट कास्ट की रैपर स्केटिंग गर्ल के कपड़े उतारने के लिए अपने ज़ख्म के मामले में उच्च न्यायालय ने मंगलवार (9) को एक अंतरिम आदेश जारी किया है। इस आदेश में कहा गया है कि मामले की अगली सुनवाई तक उस मजिस्ट्रेट के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए। इस मामाले की अगली सुनवाई 27 मई को है। किलेदार अनिल कुमार उपमन ने राजस्थान जयपुर सेवा अधिकारी संघ की ओर से एक आपराधिक रिट याचिका पर यह आदेश दिया।

अदालत के आदेश में कहा गया है कि ‘सुनवाई की अगली तारीख को पुलिस स्टेशन हिंडन, जिला करौली में मृतकों के खिलाफ कोई दंडात्मक कदम नहीं उठाया जाएगा।’ वहीं कोर्ट ने मीडिया के लिए भी किसी भी तरह के धोखेबाज़ों को बंधक बना लिया।

बता दें कि 30 मार्च को जब एक रैपर का अपना बयान दर्ज किया गया, तो हिंडौन कोर्ट के मजिस्ट्रेट ने उसे अपने दस्तावेज देखने के लिए कहा। इसके बाद मजिस्ट्रेट पर आईपीसी की धारा 345 (गलत मुकदमा) और एससी/एसटी (अत्याचार चोट) एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है।

डायर आवेदन पत्र में क्या कहा गया है?
वहीं अब राजस्थान जयपुर सेवा अधिकारी संघ ने इस मामले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी है। एसोसिएशन ने तर्क दिया है कि उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीशों द्वारा अपने अधिकारिक कर्तव्य के विरुद्ध किसी भी अधिकारिक अधिकार के खिलाफ किसी भी मामले में किसी भी मामले में किसी भी आधार पर दर्ज नहीं किया जा सकता है। . इसमें कहा गया है कि स्टाफ में असिस्टेंट प्रोफेसर को पढ़ने से यह स्पष्ट है कि इस मामले में एससी/एसटी एक्ट के प्रोफेसर को लागू करने की कोई आवश्यकता नहीं है।

27 मई को होगी अगली सुनवाई
एसोसिएशन के वकील ने यह भी तर्क दिया कि करौली जिले के हिंडौन में पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) के रूप में एक पुलिस अधिकारी के प्रभाव में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल गैंगस्टर के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी। इस बीच राज्य ने सवाल किया कि किस एसोसिएशन के पास रिट फाइल फाइल करने का अधिकार है और तर्क दिया गया कि ऐसी फाइल फाइल करने योग्य नहीं है।

वहीं कोर्ट ने कहा कि इस मामले पर आगे विचार करने की जरूरत है. रेप कागज़ और हिंडौन के वोटर्स सहित कई उत्तरदाताओं को नोटिस जारी किया गया है। केस की अगली सुनवाई 27 मई को होगी बताएं। ऐसे में कोर्ट ने आदेश दिया है कि जब तक इनवेस्टमेंट मैजिस्ट्रेट के खिलाफ कोई दंडात्मक कदम नहीं उठाया जाएगा।


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