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इंटरनेट मीडिया की त्रासदी: अमित शाह का फेक वीडियो, आरक्षण और सियासी आंच

तीसरे चरण के लोकसभा चुनाव से पहले फेक वीडियो के माध्यम से जिस तरह से भाजपा को एससी, एसटी और ओबीसी आरक्षण का विरोधी साबित करने की कोशिश की गई, वह अपने आपमें इंटरनेट मीडिया की उपयोगिता और प्रासंगिकता पर एक यक्ष प्रश्न है! सच कहूं तो यह इंटरनेट मीडिया की त्रासदी है, जिसके खिलाफ प्रिंट मीडिया जैसे सख्त और प्रभावशाली नियमन की दरकार है। दरअसल, इस फेक वीडियो में केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा के दिग्गज रणनीतिकार अमित शाह को आरक्षण को खत्म करने का ऐलान करते हुए दिखाया गया है। जबकि हकीकत यह है कि असली वीडियो में अमित शाह एससी, एसटी और ओबीसी आरक्षण को बनाए रखने की बात कहते हैं।

यही वजह है कि अमित शाह का फेक वीडियो प्रसारित होने के बाद गृह मंत्रालय ने दो दिन पहले दिल्ली पुलिस आयुक्त संजय अरोड़ा को शिक़ायत दी। जिसके बाद दिल्ली पुलिस आयुक्त के निर्देश पर आईएसएफओ यूनिट ने धारा-153 (दंगा भड़काने के इरादे से उकसाना), 153 ए (धर्म, जाति, जन्मस्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच वैमनस्यता बढ़ाना), 465 (जालसाजी), 469 (पार्टी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने) और 171 जी (चुनाव परिणाम प्रभावित करने के इरादे से गलत बयान प्रकाशित करना) में केस दर्ज किया है।

वहीं, इस मामले पर चिंता जताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गत दिनों महाराष्ट्र के सतारा में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए कहा कि “21 वीं सदी में टेक्नोलॉजी का बड़ा उपयोग और महत्व है। मैंने इंटरनेट मीडिया का उपयोग हमेशा जनता-जनार्दन से जुड़ने के लिए किया है, मगर आजकल एक बात परेशान करने वाली है। जो लोग भाजपा और राजग से सच्चाई, मुद्दों और अपने काम के आधार पर आमने-सामने राजनीतिक लड़ाई नहीं लड़ पा रहे हैं, वे अब इंटरनेट मीडिया पर फेक वीडियो फैला रहे हैं। वे हमारी पार्टी के नेताओं की आवाज में फर्जी वीडियो बनाकर गलत संदेश फैला रहे हैं। ऐसे लोगों से सावधान रहने की जरूरत है। आपको जब भी फेक वीडियो मिले, पुलिस को तुरंत सूचित करें।”

बहरहाल, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के एडिट किये गए वीडियो मामले में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की इंटेलीजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रेटेजिक ऑपरेशन्स (आईएफएसओ) यूनिट ने कांग्रेस नेता और तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी को पूछताछ के लिये 1 मई को दिल्ली बुलाया है। पुलिस ने उन्हें स्वयं द्वारा प्रयोग किये जाने वाले सभी इलेक्ट्रॉनिक गैजेट भी साथ लेकर आने को कहा है, क्योंकि रेड्डी ने भी एक एडिट वीडियो को “एक्स” पर पोस्ट किया था। 

इतना ही नहीं, दिल्ली पुलिस ने रेवंत रेड्डी समेत तेलंगाना के छह लोगों को नोटिस भेजा है, जिसमें तेलंगाना कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अनुमुला रेवंत रेड्डी, माने सतीश, नवीन, शिवशंकर, अस्मा तस्लीम भी शामिल हैं। इस मामले की जांच के लिए दिल्ली पुलिस की एक टीम हैदराबाद पहुंच चुकी है और एक शख्स को हिरासत में लिया है। वहीं, इस मामले में असम पुलिस ने एक व्यक्ति रीतम सिंह को गिरफ्तार किया है, जो कांग्रेस से जुड़ा है और पार्टी के वार रूम कोऑर्डिनेटर के रूप में काम करता है।

इस मामले में अपनी प्रतिक्रिया देते हुए तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी ने कहा कि वह दिल्ली पुलिस के नोटिस से डरेंगे नहीं। कर्नाटक के सेदम में कांग्रेस की एक रैली में रेड्डी ने आरोप लगाया कि उन्हें जानकारी मिली है कि दिल्ली पुलिस के अधिकारी हैदराबाद में तेलंगाना कांग्रेस मुख्यालय पहुंच गए हैं। उनके पास नोटिस था, जिसमें बताया गया था कि वह तेलंगाना कांग्रेस के अध्यक्ष और तेलंगाना के मुख्यमंत्री को गिरफ्तार करेंगे। इसका मतलब है कि नरेंद्र मोदी जी चुनाव जीतने के लिए ईडी, आयकर विभाग, सीबीआई का दुरुपयोग बन्द करके अब दिल्ली पुलिस का दुरुपयोग कर रहे हैं। मगर यहां कोई डरने वाला नहीं है। यहां लोग इसका जवाब देंगे। भाजपा तेलंगाना और कर्नाटक का चुनाव हारेगी।

इससे साफ है कि लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण से पहले आरक्षण का मुद्दा गरमा गया है। भाजपा के सत्ता में आने के बाद संविधान बदलने और एससी, एसटी व ओबीसी आरक्षण समाप्त करने के कांग्रेस के हमले की काट के लिए भाजपा ने पूरी ताकत झोंक दी है। पार्टी ने यूपी के पूर्व डीजीपी व सांसद बृजलाल को मैदान में उतारा है। बृजलाल ने कांग्रेस व अन्य विपक्षी दलों को वंचित, आरक्षण, बाबा साहेब अंबेडकर और संविधान का विरोधी बताया। उन्होंने 1961 में तत्कालीन पीएम जवाहरलाल नेहरू के सभी मुख्यमंत्रियों को लिखे पत्र का हवाला देते हुए कहा, कांग्रेस को शुरू से आरक्षण पसंद नहीं है। 

भाजपा सांसद बृजलाल ने एक कदम और आगे बढ़कर भाजपा के खिलाफ संविधान बदलने के आरोप को अफवाह बताते हुए कहा, कांग्रेस ने संविधान में सबसे ज्यादा बदलाव किया है। कांग्रेस सिर्फ भीम-मीम का ढोंग करती है, जबकि उसके दिल में सिर्फ मीम-मीम है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने आंध्रप्रदेश में ओबीसी कोटा कम कर मुसलमानों को आरक्षण दिया। उसी तरह से कर्नाटक में भी ओबीसी का आरक्षण छीनकर मुसलमानों को दे दिया।  

वहीं, केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव व भाजपा मीडिया विभाग के प्रमुख अनिल बलूनी के नेतृत्व में भाजपा प्रतिनिधि मंडल ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के डीप फेक वीडियो  को लेकर केंद्रीय चुनाव आयोग के अधिकारियों से शिकायत दर्ज कराई है। साथ ही चुनाव प्रचार में डीप फेक से जुड़े कई मामले भी आयोग के सामने पेश किए हैं। 

ऐसे में स्वाभाविक सवाल है कि जिस तरह से इंटरनेट मीडिया/सोशल मीडिया पर मीडिया मानकों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, वह समकालीन लोकतंत्र के लिए चिंता का विषय है। मेरा स्पष्ट मानना है कि प्रिंट मीडिया हेतु बनाये हुए कानून ही टीवी मीडिया और वेब मीडिया/सोशल मीडिया पर लागू किया जाए और उसे अधिक उपयोगी, प्रासंगिक तथा व्यवहारिक बनाने के लिए उसमें कुछ नई धाराएं जोड़ दी जाएं। ऐसा करके ही हमलोग समाज को नैतिक महामारी की जद में जाने से रोक सकते हैं। खासकर फेक वीडियो मामले में पिक एंड चूज कार्रवाई नहीं होनी चाहिए। जैसा कि अबतक महसूस किया जाता है। इस मंच से अश्लीलता का भी सफाया होना चाहिए।

– कमलेश पांडेय

वरिष्ठ पत्रकार व स्तम्भकार


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