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अकेलापन एक गंभीर मानसिक बीमारी, WHO ने बताया इसे जानलेवा

कोविड के बाद से ही बिहार में मानसिक विचारधारा तेजी से बढ़ी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अकेलेपन का कारण बताया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूडब्ल्यूडी) के अनुसार एक  वैश्विक स्वास्थ्य चिंता है। ये कई लोगों को दार्जिलेबल  की तरफ ले जाया जा रहा है। जानिए वैदिक स्तर पर अकेलापन को लेकर क्या चिंता व्यक्त की गई है। 

अकेलापन

वैश्विक स्तर पर अकेलापन एक गंभीर बीमारी है। अकेलेपन का शिकार अलग-अलग साथियों से लोग अपनी जान गवा रहे हैं। वयस्कों के अनुसार अकेलेपन से आपको 15 सी.आई.टी. रोग हो सकते हैं। अकेलापन एक गंभीर बीमारी है, जिसमें अलग-अलग कारणों से व्यक्ति की जान जा सकती है। ) ने अकेलेपन को एक वैश्विक स्वास्थ्य चिंता घोषित किया है। इतना ही नहीं लॉक ने इस समस्या को एक अंतरराष्ट्रीय आयोग पर बनाया है, जिसका नेतृत्व अमेरिकी महासचिव, डॉ. विवेक मूर्ति और अफ्रीकी संघ के युवा दूत, चिदो मपेम्बा जायेंगे। डॉ. विवेक के अनुसार एक दिन में 15 बार अकेले रहना बुरा होता है। वहीं ये इंफेक्‍शन और फिटनेस से जुड़े खतरे का कारण है। अकेलापन इस समय संयुक्त समुद्री द्वीपों को भी अपना शिकार बना रहा है। खतरा 50% और कोरोनरी धमनी रोग या स्ट्रोक का खतरा 30% बढ़ जाता है। वहीं ये युवाओं की उम्र कम हो रही है. आंकड़ों के मुताबिक 5% से 15% किशोर अकेले हैं। अफ्रीका में 12.7% किशोर अकेलेपन का अनुभव करते हैं, जबकि यूरोप में यह दर 5.3% है।

स्कूल-कॉलेज

स्कूल में अकेलेपन का अनुभव युवाओं का अनुभव करने वाले को विश्वविद्यालय में प्रवेश की संभावना अधिक होती है। इससे बहुत बुरे आर्थिक परिणाम भी हो सकते हैं। वहीं नौकरी में अलग-अलग और अयोग्य महसूस करने से नौकरी में उत्पादकता कम होती है। इसके अलावा ये कई मानसिक संस्थाएं लेकर आती हैं। उदाहरण के लिए अवसाद और बाईपोलर रोग से युवा प्रभावित हो सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर आप बहुत ज्यादा अकेलापन महसूस करते हैं तो आपको थोड़ा सामाजिक होने की जरूरत है। कई बार खुद के साथ जबरदस्ती करनी चाहिए और दोस्तों-यारों के साथ जबरदस्ती करनी चाहिए। इससे अकेलेपन से प्रस्थान में मदद मिलती है। साथ ही, सलाह के अनुसार समस्या अधिक होने पर डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए। इससे मदद मिलेगी और गलत निर्णय लेने से बचना होगा। 

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