राज्य

प्रदीप मिश्रा को संत समाज ने दिया अल्टीमेटम, माफी मांगें वरना मंदिरों में प्रवेश बंद

राधा रानी पर प्रदीप मिश्रा: कथावाचक प्रदीप मिश्रा के राधा रानी को दिए गए कथन से संत समाज नाराज हैं। बाराणा में हुई रायल्टी में निर्णय लिया गया कि अगर पिपरिया मिश्रा 3 दिन के भीतर माफ़ी नहीं मांगते हैं तो बाराणा के राधा रानी मंदिर में प्रवेश नहीं दिया जाएगा।

इसके अलावा ब्रिज चौरासी कोस के सभी मंदिरों में भी उनका प्रवेश कर दिया जाएगा। साधु-संतों ने इसके विरुद्ध यह भी निर्णय लिया कि यदि पिपरी मिश्रा के खिलाफ मुकदमा दर्ज नहीं किया गया तो पुलिस प्रशासन का आदेश रद्द कर दिया जाएगा। फिल्म महाराज को भी बहिष्कृत कर दिया गया है।

मेरी मति मारी गई थी मैं…

राधा रानी को लेकर कथावाचक प्रदीप मिश्रा द्वारा दिया गया बयान संत समाज से जुड़ा है। इस पर प्रदीप मिश्रा का यह बयान भी जारी किया गया है। हालाँकि संत समाज का कहना है कि उन्हें राधारानी को लेकर मथुरा के स्नानागार माफ़ी माँगनी होगी। साधु-संतों की ओर से यह निर्णय बार्ना में हुई बातचीत में लिया गया है।

इस सोमवार को मथुरा, मथुरा के आश्रम में स्टॉक हुआ। इसमें यह निर्णय लिया गया कि अगर प्रदीप मिश्रा 3 दिन के अंदर सोशल मीडिया के माध्यम से यह कहा गया कि ”मेरी माटी मारी गई थी इसलिए यह सब कहा, नहीं कहा और उसके बाद बरना के राधा रानी मंदिर में ज्ञान माफ नहीं किया” मांगते हैं तो उनके बरना के राधा रानी मंदिर में आश्रमों और चौरासी कोस के सभी मंदिरों में प्रवेश नहीं दिया जाएगा।”

फिल्म महाराज का भी विरोध

मथुरा के आश्रम में हुई साधु संत धर्माचार्य की एक राय कथावाचक प्रदीप मिश्रा और यशराज फिल्म महाराज का विरोध। विरोध में प्रस्ताव पास कर यह निर्णय लिया गया कि वे माफ़ी मांगें अन्यथा पूरे देश में आंदोलन करेंगे। पंचायत ने यह निर्णय लिया कि पूरे इलाके में ब्रजवासियों के लिए वाचाचक पिपरी मिश्रा को कोई छूट नहीं है तो व्यापारी जाम कर देंगे और रेल रोको आंदोलन करेंगे।

संतों ने कहा, ”प्रदीप मिश्रा के खिलाफ उन्हें निष्कासित कर दिया जाएगा।” साधु संतों ने अपने फैसले में कहा कि मुकदमा दर्ज नहीं किया जाएगा तो प्रशासन पुलिस को दोषी ठहराएगा। फ़िल्म महाराज को भी बहिष्कृत कर दिया गया। लोगों से अपील है कि उस फिल्म को न देखें, इसमें एक धर्म का अपमान किया गया है।

ये भी पढ़ें: जोधपुर में संत की हत्या के मामले में कोर्ट ने 6 साल बाद सबूतों के अभाव में फैसला सुनाया


Source link

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *