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Chai Par Sameeksha: राम मंदिर से भाजपा को क्या लाभ होगा? क्या इंडिया गठबंधन की सारी हवा निकल गयी?

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास साप्ताहिक कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में इस सप्ताह अयोध्या में होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह को लेकर हो रही राजनीति, इंडी एलायंस में चल रही उठापटक और राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की गयी। इस दौरान प्रभासाक्षी संपादक नीरज कुमार दुबे ने कहा कि देश में राममय स्थिति को देखकर ही विपक्ष के कई नेताओं के सुर अब बदले बदले नजर आ रहे हैं। इंडिया गठबंधन पर उन्होंने कहा कि इसके घटक दलों का आभार व्यक्त किया जाना चाहिए कि उन्होंने चुनाव से पहले ही देश की आंखें खोल दी हैं।

राम मंदिर को लेकर जारी राजनीति पर प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे ने कहा कि पूरा देश राम भक्ति में लीन नजर आ रहा है। कुछ लोग खुलकर राम भक्ति में भजन कर रहे हैं। तो कुछ लोग राजनीतिक दांव-पेंच को देखते हुए पर्दे के पीछे अपनी भक्ति दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कुछ लोग यह दावा कर रहे हैं कि आरएसएस और बीजेपी का कार्यक्रम है। इसलिए हम नहीं जा सकते। कुछ ने कहा कि अकेले जाना है इसलिए हम नहीं जा सकते। सभी अपने-अपने वोट बैंक को संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर कोई नेता साफ तौर पर कहता है कि वह राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा में शामिल नहीं होंगे, यह कहीं ना कहीं उनके वोट बैंक पर असर डाल सकता है। शायद इसलिए कुछ नेताओं ने इस ससम्मान अस्वीकार किया है।

कुछ ने अपने वोट बैंक को देखते हुए इसमें शामिल होने से साफ तौर पर मना कर दिया। उन्होंने कहा कि केजरीवाल लगातार सॉफ्ट हिंदुत्व की राजनीति करते आ रहे हैं। यह वही केजरीवाल है जो गुजरात चुनाव के समय नोट पर लक्ष्मी और गणेश जी की फोटो की मांग कर चुके हैं। नीरज दुबे ने कहा कि जनता की जो भावनाएं हैं उसकी कद्र राजनेताओं को करनी पड़ती है। देश ही नहीं, विदेश में भी राम नाम की गूंज दिखाई दे रही है। यही कारण है कि इसकी कोई भी राजनेता अनदेखी नहीं कर सकता है। लोकसभा चुनाव बिल्कुल दहलीज पर है इसलिए राजनीतिक दलों को फूंक फूंक के कदम उठाना पड़ रहा है। 

नीरज दुबे ने कहा कि हां, भाजपा इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश करेगी, इसका बड़ा कारण यह है कि सबसे ज्यादा संघर्ष राम मंदिर के लिए भाजपा ने ही किया है। भाजपा के ही बड़े नेताओं ने कुर्बानी दी है। उन्होंने कहा कि वह जमाना गया जब राम भक्तों पर गोली चला दी जाती थी। अब जनता जागरुक है। अब जनता को पता है कि उसे क्या करना है। उन्होंने कहा कि यह बीजेपी आरएसएस का इवेंट नहीं है। यह श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट का कार्यक्रम है जिसका गठन सुप्रीम कोर्ट का निर्देश के बाद सरकार ने किया है। उन्होंने कहा कि सब कुछ नियमों के मुताबिक हुआ है। ऐसे में इस पर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सभी राजनीतिक दल इस कार्यक्रम में अपना हाथ बंटा सकते थे। किसी को मना नहीं किया गया था। 

नीरज दुबे से हमने कांग्रेस के भारत जोड़ो न्याय यात्रा पर भी बातचीत की। साथ ही साथ राम मंदिर को लेकर जो राहुल गांधी ने बयान दिया था, उसपर भी हमने सवाल पूछा। नीरज दुबे ने कहा कि अगर कांग्रेस मानती है कि धर्म निजी विषय है, ऐसे में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी की संत वाली फोटो को क्यों वायरल किया जा रहा था। 2018 के विधानसभा चुनाव में राहुल गांधी मंदिर क्यों जा रहे थे, राहुल गांधी का गोत्र क्यों बताया जा रहा था? इसके साथ ही उन्होंने कहा कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा फिलहाल असम में है। असम में ही पार्टी के पुराने कार्यकर्ता राहुल गांधी से न्याय मांगते दिखाई दे रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस फिलहाल कन्फ्यूजन की स्थिति में दिखाई दे रही है। उन्होंने कहा कि कई नेताओं का दावा है कि राहुल गांधी से मिलना मुश्किल हो जाता है। राहुल गांधी के जो आसपास नेता हैं, वही फैसला लेते हैं। उन्होंने कहा कि भले ही इंडिया गठबंधन बन चुका है, लेकिन कई उसके सहयोगी दल कांग्रेस पर आरोप लगाते रहे हैं कि पुरानी पार्टी को इसकी चिंता नहीं है।


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