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इलेक्टोरल बांड योजना पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आज, जानिए क्या है पूरा मामला?


<पी शैली="पाठ-संरेखण: औचित्य सिद्ध करें;">सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (15 फरवरी 2024) को अहम फैसला सुनाया। कोर्ट का ये फैसला बैंड शॉ के वकील को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर है। सीजेई डी वाई चंद्रचूड़ की गांधीधाम वाली 5 जजों की बेंच ने पिछले साल दो नवंबर को केस में अपना सुरक्षित फैसला लिया था। 

केंद्र सरकार ने 2018 में बंद योजना की शुरुआत की थी। इसे राजनीतिक शेयरधारकों को मिलने वाली फंडिंग में निवेशकों के लिए निवेश के तहत पेश किया गया था। इसे राजनीतिक शब्दावली में दिए गए कैश चंदे के विकल्प के रूप में देखा गया था। 

चुनावी बैंड स्टेट बैंक की कुछ चुनिंदा विशिष्टताएं मिलती हैं। कोई भी नागरिक, कंपनी या संस्था इस बैंड को खरीद सकती है। ये बैंड 1000, 10 हजार, 1 लाख और 1 करोड़ रुपये तक का हो सकता है। कोई भी व्यक्ति जिस पार्टी को चंदा देना चाहता है, वह ये नोटबंदी खरीदकर राजनीतिक पार्टी को दे सकता है। खास बात ये है कि बैंड में चंदा देने वाले को अपना नाम नहीं लिखा।

किस वेबसाइट पर चंदा मिल सकती है?

अन्य, इन बंदों को सिर्फ वे ही राजनीतिक दल प्राप्त कर सकते हैं, जो लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 29 ई के तहत पंजीकृत हैं और पिछले लोकसभा या विधानसभा चुनाव में एक प्रतिशत से अधिक वोट माननीय हैं।  

किसने स्मारक की याचिकाएं? कुल चार आवेदन पत्र दिये गये। कंपनियों का दावा है कि इलिनोइस बैंड के माध्यम से निवेशकों को प्रभावित किया गया है और मतदाताओं की जानकारी के अधिकार का उल्लंघन किया गया है। उनका दावा है कि इस योजना में शेल कंपनी के माध्यम से दान की जानकारी दी गई है। 

कोर्ट ने पिछले साल 31 अक्टूबर को इन पर सुनवाई शुरू की थी। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ में जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बी आर गवई, जस्टिस जे बी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा शामिल हैं। 

ये भी पढ़ें: बीजेपी को कुल कमाई का 54 फीसदी पिछड़ने का मौका मिला, कांग्रेस और अन्य संगठनों को मिला चंदा


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