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Chai Par Sameeksha: INDIA गठबंधन को बचाने वाली Congress क्या सरकार बनाने में भी सफल रहेगी?

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क  के खास साप्ताहिक कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में इस सप्ताह इंडिया अलायंस, संदेशखाली की घटना और यूपी की राजनीति से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की गयी। इस दौरान प्रभासाक्षी संपादक ने कहा कि आम आदमी पार्टी (आप) दिल्ली, गुजरात और हरियाणा में कांग्रेस के साथ मिल कर चुनाव लड़ेगी मगर पंजाब  में दोनों पार्टियां एक दूसरे के खिलाफ मैदान में उतरेंगी। यह कुछ उसी तरह है जैसे पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा में तो कांग्रेस और वामपंथी दल साथ-साथ चुनाव लड़ते हैं मगर केरल में एक दूसरे के खिलाफ ताल ठोंकते हैं। देखा जाये तो ऐसे गठबंधन किसी विचारधारा के मेल के चलते नहीं बल्कि सत्ता हासिल करने के खेल के चलते बनते हैं। इसलिए जनता को सावधान रहने की जरूरत है क्योंकि जो एक राज्य में एक दूसरे के खिलाफ हैं उनका दूसरे राज्य में एक मंच पर दिखना धोखे के समान है। 

प्रभासाक्षी के संपादक नीरज कुमार दुबे ने कहा अच्छी बात है कि कांग्रेस ने गठबंधन को लेकर प्रयास किया और उसमें सफलता मिली। लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि आज से दो-तीन महीने पहले देखा जाए तो ऐसा लग रहा था कि कांग्रेस बड़ी राजनीतिक दल है और उसके साथ क्षेत्रीय दल जुड़ना चाहते हैं। लेकिन आज की स्थिति में ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस ने क्षेत्रीय दलों के सामने अपने हथियार डाल दिए हैं। आज लोगों में यह साफ तौर पर संदेश जा रहा है कि बहुत बड़ा दल जिसने देश के ज्यादातर समय पर शासन किया, वह अब क्षेत्रीय दलों पर निर्भर है। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी शुरू से कांग्रेस के खिलाफ लड़ाई लड़ी। कांग्रेस को दिल्ली, पंजाब और गुजरात में खत्म करने का श्रेय भी आम आदमी पार्टी को जाता है, अब इसी आम आदमी पार्टी की गोद में कांग्रेस बैठने की कोशिश कर रही है।

नीरज दुबे ने कहा कि पहले ही समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी के साथ कांग्रेस ने औपचारिक रूप से गठबंधन का ऐलान कर दिया। लेकिन कहीं ना कहीं उसके कार्यकर्ता कई जगहों पर निराशा हैं। कई लोग इस चुनाव के लिए लगातार मेहनत करते हैं। लेकिन बड़े नेता एक साथ बैठकर गठबंधन का ऐलान कर देते हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने आत्मसमर्पण ऐसा किया है कि वह अपना पसंदीदा सीट भी नहीं ले सकी है। उदाहरण के लिए कांग्रेस ने मुरादाबाद सीट पर उत्तर प्रदेश में दावा ठोका था, सपा ने नहीं दिया बावजूद इसके गठबंधन हुआ। यही कारण है कि नीरज दुबे ने साफ तौर पर कहा कि कांग्रेस ने अपने हितों की तिलांजलि दी है। अपने कार्यकर्ताओं के भावनाओं का सम्मान नहीं किया है। नीरज दुबे ने इस बात को दोहराया कि अरविंद केजरीवाल ने बच्चों की कसम खाकर कहा था कि हम कांग्रेस के साथ कभी गठबंधन नहीं करेंगे लेकिन एक बार क्या, दो-दो बार उन्होंने गठबंधन कर लिया। वहीं समाजवादी पार्टी और कांग्रेस गठबंधन का 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में क्या हुआ था, यह सभी को पता है। 

संदेशखाली घटना को लेकर नीरज दुबे ने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। आज भी महिलाओं को इस तरह की पीड़ा से गुजरना पड़ रहा है, यह बर्दाश्त से बाहर की बात है। महिलाओं के सम्मान को ठेस पहुंचाया गया है। उनकी जमीनों को छीना गया है। ममता बनर्जी लगातार मां, माटी और मानुष की बात करती रही हैं लेकिन यहां किसी की रक्षा नहीं हुई है। ऐसे में बड़ा सवाल ममता बनर्जी पर ही उठ रहा है कि आखिर उनकी सरकार क्या कर रही है? आज की स्थिति में यह है कि संदेशखाली जाने के लिए कोर्ट से इजाजत लेनी पड़ रही है। हालांकि, नीरज दुबे ने कहा कि संदेशखाली मामले को लेकर सख्ती दिखानी चाहिए। पूरी घटना को सामने लाया जाना चाहिए और जो लोग भी दोषी हैं। उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले को लेकर राजनीति ना हो। उन्होंने यह भी कहा कि प्रियंका गांधी को गंजा की चिंता तो दिखाई दे रही है लेकिन ममता बनर्जी के राज्य में संदेशखाली में जो कुछ भी हुआ है उसे पर प्रियंका गांधी खामोश हैं।


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