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‘हर नागरिक को आर्टिकल 370 को निरस्त करने के फैसले की आलोचना का हक’, SC ने किस मामले पर की ये टिप्पणी?

सुप्रीम कोर्ट: सुप्रीम कोर्ट ने आर्टिकल 370 के प्रोविजन की आलोचना करते हुए एक प्रोफेसर के खिलाफ धारा 370 को खारिज करते हुए गुरुवार (7 मार्च) को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि प्रत्येक नागरिक को सरकार के किसी भी फैसले की आलोचना करने का अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट की तरफ से सुनवाई के दौरान फ्रीडम ऑफ स्पीच यानी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर भी अहम टिप्पणी की गई।

शीर्ष अदालत ने बॉम्बे हाईकोर्ट के खिलाफ एक आदेश को रद्द करते हुए प्रोफेसर जावेद अहमद हाजम के भारतीय दंड संहिता की धारा 153 ए (सांप्रदायिक वैमनस्य को बढ़ावा) के तहत दर्ज मामला खारिज कर दिया। महाराष्ट्र पुलिस ने आर्टिकल 370 के खिलाफ़ धारा 370 को निरस्त करने के संबंध में आवेदन पत्र पोस्ट करने के लिए कोल्हापुर के हटकनगले थाने में हजम के बयान दर्ज करने की बात कही थी।

प्रोफ़ेसर ने स्टेटस पर क्या लिखा था?

हाजम ने कथित तौर पर व्हाट्सएप संदेश में ‘5 अगस्त-काला दिवस जम्मू-कश्मीर’ और ’14 अगस्त-स्वतंत्रता दिवस मुबारक पाकिस्तान’ लिखा था। इसे लेकर प्रोफेसर की आलोचना की गई थी. उनके खिलाफ ऐसा करने को लेकर केस दर्ज किया गया था.

सर्वोच्च न्यायालय ने कहा- विदेशी नागरिकों का एकजुट होना गलत नहीं है

शीर्ष अदालत ने यह भी कहा कि प्रत्येक नागरिक को दूसरे देश के स्वतंत्रता दिवस पर अपने नागरिकों को शुभकामनाएँ देने का अधिकार है। कोर्ट ने कहा कि अगर भारत का कोई भी नागरिक 14 अगस्त को विदेशी नागरिकों को शुभकामनाएं देता है, तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है।

अभय अभय एस. ओका और गणतंत्र उज्जल भूषण ने कहा, ‘भारत का संविधान, अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत, वाक् अभिव्यक्ति अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रचनात्मकता देता है। जनहितैषी के तहत, प्रत्येक को अनुच्छेद 370 में शामिल करना सरकार के हर नागरिक की आलोचना करने का अधिकार है। उन्हें यह दावा करने का अधिकार है कि वह सरकार के किसी भी फैसले से नाखुश हैं।’

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भारत के प्रत्येक नागरिक को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और जम्मू-कश्मीर की स्थिति में बदलाव की आलोचना करने का अधिकार है।

यह भी पढ़ें: जम्मू कश्मीर अनुच्छेद 370: ‘अनुच्छेद 370 संवैधानिक रूप से वैध, भारत के संविधान से अलग जम्मू कश्मीर’


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