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Chai Par Sameeksha: Loksabha Elections में CAA किसको लाभ पहुँचाएगा, INDI Alliance का भविष्य क्या है

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम चाय पर समीक्षा में इस सप्ताह आम चुनावों की घोषणा के बाद की राजनीतिक स्थिति, इंडिया गठबंधन और CAA को लेकर हो रही राजनीति पर चर्चा की गयी। लोकसभा चुनाव को लेकर बोलते हुए तारीख है बेहद ही शुभ है। हमारे देश में चुनाव को उत्सव कहा जाता है। लोकतंत्र में चुनाव महापर्व होता है। ऐसे में हम सभी को हमेशा चुनाव का इंतजार होता है। राजनीतिक दलों की ओर से अपने-अपने उम्मीदवारों की घोषणा की जा रही है। हालांकि जब चुनावी तारीखों का ऐलान हो चुका है। ऐसे में प्रत्याशियों के चयन में भी राजनीतिक दल तेजी दिखा रहे हैं। नीरज दुबे ने यह भी कहा कि जिस तरीके से चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया है, उसे राजनीतिक दल अपने-अपने घोषणा पत्र जारी करेंगे। उन घोषणा पत्रों पर जनता की निगाह रहेगी। उन्होंने कहा कि एक तरफ जहां भाजपा विकसित भारत के संकल्पों को लेकर आगे बढ़ रही है। तो दूसरी ओर इंडिया गठबंधन और उसके नेता देश की चुनौतियों को लेकर सत्ता पक्ष पर सवाल खड़े कर रहे हैं और कई बड़े वादे भी कर रहे हैं।

नीरज दुबे ने कहा कि प्रभासाक्षी हमेशा की तरह चुनाव कार्यक्रम के दौरान चुनावी यात्रा करता है। इस बार भी इस यात्रा का आगाज हो गया है। लोगों से बातचीत करने के बाद यह पता चल रहा है कि इस बार का चुनाव हार-जीत का नहीं बल्कि रिकॉर्ड बनाने का चुनाव है। उन्होंने कहा कि अब तक 35, 38 और 40% के वोट के साथ राजनीतिक दल सरकार बनाने में कामयाब हो जाते थे। हालांकि भाजपा इस बार 50% से ज्यादा वोट हासिल करने के लक्ष्य के साथ चुनावी मैदान में उतर रही है। अगर भाजपा ऐसा करने में कामयाब हो पाती है तो कहीं ना कहीं यह भारत के लोकतंत्र के लिए ऐतिहासिक क्षण होगा। उन्होंने कहा कि देखना दिलचस्प होगा कि देश की जनता क्या किसी एक गठबंधन या पार्टी को पूर्ण बहुमत देती है या फिर खिचड़ी सरकार को चुनती है। भारत के चुनाव को लेकर पूरी दुनिया की नजर है। ईवीएम को लेकर जो लोग भी सवाल उठाते हैं, उनको सुप्रीम कोर्ट से झटका लग चुका है। विपक्ष भी जमीन पर राजनीति कर रहा है। हालांकि नीरज दुबे ने कहा कि इस बार के चुनाव में सोशल मीडिया का इस्तेमाल भ्रम फैलाने के लिए ना हो। 

इंडिया गठबंधन और तीसरे मोर्चे की संभावना को लेकर नीरज दुबे से हमने सवाल पूछा। उन्होंने कहा कि कहीं ना कहीं इंडिया गठबंधन में शामिल दल अपनी ताकत दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि, पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी पहले ही अलग होते दिखाई दे रही हैं। इस गठबंधन का नींव डालने वाले नीतीश कुमार भाजपा के साथ गठबंधन कर चुके हैं। लेफ्ट पार्टी केरल में वायनाड सीट से राहुल गांधी के चुनाव लड़ने के बाद और नाराज दिखाई दे रहा है। ऐसे में इंडिया गठबंधन में बड़ी पार्टियों की बात करें तो कुल मिलाकर देखा जाए तो आम आदमी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल जैसी पर्टिया शामिल हैं। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की हालत खराब है। यही कारण है कि वह समाजवादी पार्टी की बैसाखी के सहारे चलने को मजबूर हुई है। उन्होंने कहा की शुरुआत में इंडिया गठबंधन को लेकर जो तस्वीर आई थी उसने एकजुटता का संदेश जरूर दिया था। लेकिन बाद में यह पूरी तरीके से इंडिया गठबंधन टूटा हुआ नजर आ रहा है। नीरज दुबे ने कहा कि चुनाव के दहलीज पर तीसरे मोर्चे की संभावना फिलहाल नहीं दिख रही है। हां, कुछ ऐसे दल है जो दोनों ही गठबंधन से समान दूरी बनाकर रख रहे हैं। वह शायद किसी एक नए मोर्चे का गठन कर सकते हैं। 

इस दौरान प्रभासाक्षी संपादक  ने कहा कि सीएए पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को भारत की नागरिकता प्रदान करने के लिए बनाया गया है इसलिए इसको लेकर दुष्प्रचार नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सीएए को लेकर भाजपा ने जो अपना वादा था, वह सत्ता में आते ही पूरा कर दिया था। समय को लेकर जो सवाल उठ रहे हैं इस पर नीरज दुबे ने कहा कि हमारे देश में हर समय चुनाव होता है। ऐसे में जब भी सीएए को लागू किया जाता, तब यह सवाल उठाए जाते। उन्होंने कहा कि देश कोरोना महामारी से गुजरा, ऐसे में प्रायोरिटी बदली। इसलिए सीएए को देश में लागू करने में देरी हुई। उन्होंने कहा कि सीएए कानून नागरिकता देने का कानून है। नागरिकता लेने का कानून नहीं है। इससे किसी भी भारतीय की नागरिकता नहीं जाने वाली है। अफवाह फैलाने वालों से सावधान रहने की जरूरत है।


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