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चीनी नागरिकों को क्यों मार रहे पाकिस्तानी? अब तक 28 नागरिकों ने गंवाई जान, गुस्साए जिनपिंग ने शहबाज को कर दिया लाइन हाजिर

बारूद के ढेर पर बैठे आतंकी मुल्क पाकिस्तान में हर तरफ तबाही और बर्बादी के निशान नजर आए। पाकिस्तान अब आतंक की आग में खुद झुलर रहा है। आतंकी ब्लास्ट की सीरिज में अब बड़ा आतंक हमला खैबर पख्तूनवा में हुआ है। इसमें छह लोगों की मौत हो गई। इस हमले का दर्ज पाकिस्तान के मददगार चीन ने भी महसूस किया। मरने वालों में पांच लोग तो केवल चीन के थे। हमलावरों ने चीनी नागरिकों के काफिले को निशाना बनाया। ये बड़ा आतंकी हमला खैबर पख्तूनवा इलाके के सांग्ला जिले के बेशम इलाके में हुआ। बताया जा रहा है कि आत्मघाती हमलावरों ने विस्फोटकों से भरी कार चीनी इंजीनियरों के काफिले में घुसा दी। टक्कर के बाद चीनी इंजीनियरों की कार खाई में गिर गई। इस जबरदस्त धमाके में पांच चीनी इंजीनियरों की मौत हो गई। जबकि एक ड्राइवर को भी अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। रिपोर्ट्स के मुताबिक सभी चीनी इंजिनयर दासू में अपने कैंप की ओर जा रहे थे। रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि आतंकियों ने जान-बूझकर चीनी अधिकारियों को निशाना बनाया। सवाल उठता है कि पाकिस्तान और चीन सरकार की दोस्ती के बीच वे कौन लोग या ग्रुप हैं जो पाकिस्तान में चीनी नागरिकों से नाराज हैं और क्यों? 

2021 में चीनी इंजीनियर से भरी बस पर अटैक 

दासू पहले भी आतंकियों के निशाने पर रहा है। साल 2021 में भी एक बड़ा हमला हुआ था। पाकिस्तान के आतंकी हमले में 9 चीनी इंजीनियर मारे गए थे। जब चीनी इंजीनियर से भरी बस पर अटैक हुआ था। हमले में नौ चीनी इंजीनियर समेत 12 की मौत हुई। नागरिकों पर हुए हमले की जांच के लिए चीन ने एक टीम भी पाकिस्तान भेजी थी। लेकिन अब चीनी नागरिकों की मौत पर पाकिस्तान घबराया हुआ है। पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ खुद भागते दौड़ते चीन के दूतावास पहुंचे। इस दौरान उनके चेहरे पर चिंता की लकीरें भी नजर आने लगी। वो नहीं चाहते कि किसी भी कीमत पर चीन उनसे नाराज हो। चीनी इंजीनियरों की मौत ने पाकिस्तान की परेशानी बढ़ा दी है। वहीं चीन को भी बड़ा सबक मिला है। इसके साथ ही दूसरों देशों के लिए भी सीख है। जो पाकिस्तान को बारूद मुहैया करा रहा था अब उसकी लपटें उसे भी अपनी चपेट में ले रही है। 

कौन है बलोच लिबरेशन आर्मी ?

खैबर पख्तूनख्वा में हुए आतंकी हमले की जिम्मेदारी लेनी वाली वलोच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) में वे लोग शामिल है, जो मानते हैं कि भारत-पाकिस्तान बंटवारे के समय उन्हें जवरदस्ती पाकिस्तान में शामिल कर लिया गया, जबकि वे खुद को एक आजाद मुल्क के तौर पर देखना चाहते थे। इसलिए बलूचिस्तान प्रांत से जुड़ी इस ‘आर्मी’ का पाकिस्तान की सरकार और वहां की सेना से संघर्ष चलता रहता है। बीएलए और कुछ अन्य ग्रुप बलूचिस्तान की आजादी के लिए एक्टिव हैं। माना जाता है कि बीएलए पहली वार 1970 के दशक में वजूद में आया और जुल्फिकार अली भुट्टो की सरकार के खिलाफ सशस्त्र बगावत शुरू की। 2000 से इस संगठन ने फिर हमले तेज किए। 2007 में पाकिस्तान सरकार ने बीएलए को आतंकी संगठनों की सूची में डाल दिया। इसके बाद यह संगठन खुलकर सरकार के खिलाफ हो गई।

बलूचिस्तान पर चीन की नजर

बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे कम आबादी वाला, लेकिन खनिज संसाधनों के मामले में बेहद धनी प्रांत है। बलूच लोगों की लंबे समय से शिकायत रही है कि उन्हें प्रांत के मुनाफे का उचित हिस्सा नहीं मिलता है। इसकी वजह से वहां कई अलगाववादी समूह बन गए हैं। सीपीईसी परियोजना चीन की विशाल बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव की बुनियाद है। यह चीन के पश्चिमी शिनजियांग प्रांत को दक्षिण पश्चिम में ग्वादर बंदरगाह से जोड़ने वाला प्रोजेक्ट है। ।  बीएलए  बलूचिस्तान को न सिर्फ पाकिस्तान सरकार, बल्कि किसी भी विदेशी प्रभाव से आजादी दिलाना चाहता है। 

क्यों हो रहा चीन का विरोध

बलूचिस्तान के लोग चीनी कॉरिडोर का शुरू से विरोध कर रहे हैं। वहां की ट्राइबल कम्युनिटी को डर है कि बाहरी लोग यहां बसेंगे तो यहां के डेमोग्राफी पर प्रभाव पड़ेगा। इस मिनरल रिच इलाके के दोहन का फायदा पाकिस्तान की राजनीति को डॉमिनेट करने वाले एलीट क्लास को ही होगा। बाहरी दखल से बलोच विद्रोहियों को अपने आंदोलन के कमज़ोर होने का भी खतरा है, इसलिए भी वे प्रोजेक्ट पर काम करने वाले चीनी इंजिनियरों को निशाना बना रहे हैं। लगातार हमलों से प्रोजेक्ट में हो रही देरी और बढ़ते खर्च से चीन परेशान है। वह अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए चीनी आर्मी लगाने की फिराक में भी है, जिसके लिए पाकिस्तान तैयार नहीं हो रहा है। बीएलए का मानना है कि चीन का बढ़ता प्रभाव उसके मंसूबों में एक बड़ी रुकावट वन सकता है। इसलिए चीनी नागरिक उसके टारगेट पर है।

क्या कर रही पाक सरकार ? 

पाकिस्तान में अब तक बलोच लिबरेशन आर्मी की ओर से किए गए अलग-अलग हमलों में 28 से ज्यादा चीनी नागरिक अपनी जान गंवा चुके हैं। चीनी नागरिकों पर हो रहे हमले चीन सरकार के लिए बड़ी परेशानी है। दरअसल, पाकिस्तान में प्रस्तावित चीन का सीपीईसी तकरीबन 60 अरब डॉलर की योजना है, जिस पर एक बड़ा हिस्सा चीन खर्च कर चुका है। 2014 में पाकिस्तान सरकार ने चीन के नागरिकों की सिक्योरिटी के लिए स्पेशल प्रोटेक्शन यूनिट बनाई, जिसमें 4 हजार से ज्यादा सिक्योरिटी ऑफिशियल्स है। यह यूनिट 7567 चीनी नागरिकों को स्पेशल सिक्योरिटी मुहैया कराती है।


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