दुनिया

बिहार की राजनीति का ‘चिराग’ संभावना का वाहक

खुद को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का हनुमान बताने वाले युवा नेता चिराग पासवान इन दिनों बिहार की राजनीति में लाइमलाइट में हैं। राजनीतिक कौशल एवं प्रभावी रणनीति के तहत तेजी से अपनी राजनीतिक जमीन को मजबूती देते हुए बिहार की राजनीति का ‘चिराग’ संभावना का वाहक बन रहा है। चिराग पासवान सक्षम जनप्रतिनिधि के साथ-साथ मौलिक सोच एवं संवेदनाओं के प्रतीक हैं। उन्हें सूक्ष्मदर्शी और दूरदर्शी होकर प्रासंगिक एवं अप्रासंगिक के बीच भेदरेखा बनाने एवं अपनी उपस्थिति का अहसास कराने का छोटी उम्र में बड़ा अनुभव है जो भारतीय राजनीति के लिये शुभता का सूचक है। लोकतंत्र का सच्चा जन-प्रतिनिधि वही है जो अपनी जाति, वर्ग और समाज को मजबूत करने के साथ देश को मजबूत करें। ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ की लड़ाई लड़ने वाले चिराग 14 करोड़ बिहारियों को विकास की मुख्य धारा से जोड़ने के लिये प्रतिबद्ध है। 

आगामी लोकसभा चुनाव 2024 चिराग का सशक्त एवं उम्मीदभरा राजनीतिक भविष्य उजागर करते हुए बिहार के शीर्ष नेतृत्व की ओर अग्रसर करे तो कोई आश्चर्य नहीं। इस बात के संकेत इनदिनों की बिहार की राजनीति गतिविधियों से मिलने लगे हैं। गतदिनों भाजपा मुख्यालय से विनोद तावड़े ने बिहार के एनडीए गठबंधन में सीट शेयरिंग का अपना फॉर्मूला सार्वजनिक किया, जिसमें भाजपा को 17 सीटें, जदयू को 16 सीटें तो चिराग पासवान के नेतृत्व वाली लोजपा (रामविलास) के खाते में 5 सीटें गईं। वहीं उपेंद्र कुशवाह और जीतनराम मांझी की पार्टी को एक-एक सीट दी गई। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आवास की एक बड़ी तस्वीर सामने आई, जिसमें नीतीश चिराग के कंधे पर हाथ रखे आशीर्वाद की मुद्रा में दिखाई दे रहे हैं। इसी तरह का एक चित्र पहले चर्चित हुआ जिसमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी चिराग की पीठ थपथपाते हुए दिखाई दे रहे हैं।

भारतीय राजनीति में युवाओं की भागीदारी को लेकर अक्सर बड़ी-बड़ी बातें हर किसी मंच से होती रहती हैं लेकिन कोई दल उन्हें प्रतिनिधित्व का मौका नहीं देता क्योंकि उनकी नजर में युवा वोट भर हैं। राजनीतिक दल उनका इस्तेमाल भीड़ और ट्रौलिंग के लिए करते रहते हैं। हालांकि इस मिथक को चिराग ने तोड़ा, 2014 के लोकसभा चुनाव में जमुई सीट पर 80 हजार से ज्यादा मतों से विजयी हुए थे तो एक ही संसदीय दौर में उन्होंने जनता का विश्वास इस कद्र जीता कि 2019 के चुनाव में चिराग ने 5 लाख से ज्यादा वोट हासिल करते हुए लगातार दूसरी बार जीत दर्ज की। करिश्माई व्यक्तित्व वाले चिराग ने आगामी चुनाव में एनडीए को बिहार में 40 में से 40 सीटें मिलने का दावा किया है। इसमें कोई संदेह भी नहीं है क्योंकि 2019 में जब एनडीए में 3 पार्टियां थी, तब 40 में से 39 सीटें जीती थीं और इस बार 5 पार्टियां हैं और लोगों का उत्साह बताता है कि बिहार में 40 सीटों के साथ एनडीए देश में 400 सीटों के लक्ष्य को आसानी से पार कर लेगा।

चिराग पासवान एक भारतीय राजनीतिज्ञ तथा लोक जनशक्ति पार्टी के राजनेता है। वे भारतीय राजनीति में सर्वाधिक मतों से जीतने वाले दलितों के शीर्ष नेता एवं लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के संस्थापक रामविलास पासवान के पुत्र हैं। चिराग ने न केवल बिहार की राजनीति में बल्कि समूची देश की राजनीति में युवा संभावनाओं को उजागर करने की खनक पैदा की है। यह वह आहट है जो भारत की राजनीति को एक नयी दिशा एवं दृष्टि प्रदत्त करेंगी। क्योंकि चिराग वोट की राजनीति के साथ-साथ सामाजिक उत्थान की नीति के चाणक्य है। वे रोजगार के नाम से एक एनजीओ भी चलाते हुए बिहार के युवाओं को बडे़ पैमाने पर रोजगार दिलाने की मुहिम को संभव किया है। ‘चिराग का रोजगार’ एक मौलिक सोच की निष्पत्ति है और चिराग भारत की राजनीति में एक मौलिक सोच के प्रतीक नेता के रूप में उभर रहे हैं और मौलिकता अपने आप में एक शक्ति होती है, जो व्यक्ति की अपनी रचना होती है एवं उसी का सम्मान होता है। संसार उसी को प्रणाम करता है जो भीड़ में से अपना सिर ऊंचा उठाने की हिम्मत करता है, जो अपने अस्तित्व का भान कराता है। मौलिकता की आज जितनी कीमत है, उतनी ही सदैव रही है। जिस व्यक्ति के पास अपना कोई मौलिक विचार या कार्यक्रम है तो संसार उसके लिए रास्ता छोड़कर एक तरफ हट जाता है और उसे आगे बढ़ने देता है। मौलिक विचार तथा काम के नये तरीके खोज निकालने वाला व्यक्ति ही समाज एवं राष्ट्र की बड़ी रचनात्मक शक्ति होता है अन्यथा ऐसे लोगों से दुनिया भरी पड़ी है जो पीछे-पीछे चलना चाहते हैं और चाहते हैं कि सोचने का काम कोई और ही करे। चिराग ने भारत की राजनीति में युवा पीढ़ी के लिए कुछ नया सोचा है, कुछ मौलिक सोचा है, तो सफलता निश्चित है। वे इसी सोच से प्रदेश की राजनीति से केन्द्र की राजनीति की ओर अग्रसर होकर सफल नेतृत्व देने में सक्षम साबित होंगे, इसमें कोई संदेह नहीं है। 

लोजपा अब पूरी तरह युवाओं के हाथ में है। चिराग युवा हैं, सक्षम है, प्रखर वक्ता है, कुशल संगठनकार एवं प्रबन्धक हैं और विगत में उन्होंने अनेक अवसरों पर अपनी इन क्षमताओं के साथ-साथ निर्णायकता साबित की है। कई मौकों पर यह बात सामने आई है कि बिहार के साथ-साथ केंद्रीय राजनीति के दांव-पेच और समीकरणों को भी वह अच्छी तरह जानने-समझने लगे हैं। हालांकि उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती दलित राजनीति के अगले ध्वजवाहक बनने और अपने लक्षित मतदाता समूह में पिता जैसी स्वीकार्यता पाने की होगी। चिराग नई लकीर खींचने में पारंगत है, वे अपने पिता की प्रतिछाया ही न बनकर कुछ नये प्रतिमान स्थापित करेंगे, राजनीति की नई परिभाषाएं गढ़ंगे। क्योंकि वे विपरीत स्थितियों में सामंजस्य स्थापित करके भरोसा और विश्वास का वातावरण निर्मित करने में दक्ष है।

युवापीढ़ी और उनके सपनों का मूर्च्छित होना और उनमें निराशा का वातावरण निर्मित होना- एक सबल एवं सशक्त राष्ट्र के लिये एक बड़ी चुनौती है। चिराग ने यह अनुभव किया, यह उनकी सकारात्मक राजनीति एवं मानवतावादी सोच का ही परिणाम है। चिराग इस मामले में अन्य क्षत्रप या नेता पुत्रों से थोड़ा अलग इसलिए भी हैं कि उनका नजरिया और अंदाज भविष्योन्मुखी और विकासवादी प्रतीत होता है। यही कारण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी चिराग में राजनीतिक संभावनाओं को गहराई से समझा है। इन सबके बावजूद यक्ष प्रश्न यह है कि क्या चिराग अपने पिता की दलित राजनीति की विरासत को कोई नया आयाम दे पाएंगे। या फिर वह इस विरासत से इतर मुख्यधारा की राजनीति में अपनी काबिलियत दिखाएंगे। चिराग राजनीति की बारीकियों को समझने में माहिर है। राजनीति का मौसम विज्ञान समझने में चिराग ने मोदी की आंधी को भलीभांति भांप लिया है और वह किसी संशय में नहीं है। अपने मतदाता समूह में उनकी मजबूत स्वीकार्यता भी है। हाल के समय में भारतीय राजनीति में नई पीढ़ी के कई नेता पुत्रों ने अभी तक कोई बहुत बड़ी उम्मीद नहीं जगाई है। चाहे राहुल गांधी हों या तेजस्वी यादव, फिलहाल इनके सियासी सितारे डूब-उतर रहे हैं। साथ ही अपने प्रभाव में निरंतरता बरकरार रखने में कहीं न कहीं चूक भी रहे हैं। हालांकि इन नामों की तुलना में चिराग के पास कोई बहुत बड़ी राजनीतिक विरासत तो नहीं है, लेकिन वे अपने होने का अहसास, कुछ अनूठा करने का एवं जनता के दिलों को जीतने का हूनर साबित किया है। 

– ललित गर्ग


Source link

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *