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Chandigarh Loksabha Seat पर क्या हैं चुनावी मुद्दे? आमने सामने की लड़ाई में Sanjay Tandon जीतेंगे या Manish Tewari?

चंडीगढ़ देश के उन शहरों में शुमार है जहां सब कुछ व्यवस्थित ढंग से बना हुआ है। साफ सफाई है, उच्च स्तर का रहन सहन है, शिक्षा, स्वास्थ्य की अच्छी सुविधा है, परिवहन के बेहतर साधन हैं। चमचमाती और चौड़ी सड़कें हैं। यानी कुल मिलाकर एक बेहतर जीवन जीने के लिए चंडीगढ़ में सब कुछ है। लेकिन इसी सब कुछ में अपने लिए भी कुछ तलाशने के लिए बड़ी संख्या में देश के अन्य भागों से लोग यहां आकर बस रहे हैं जिससे संसाधनों पर दबाव पड़ रहा है।

चंडीगढ़ में ट्रैफिक जाम की बढ़ती समस्या दर्शा रही है कि यहां की आबादी किस तेजी से बढ़ रही है। इसको देखते हुए यहां मेट्रो के काम में तेजी लाई जा रही है और अन्य प्रकार के निर्माण कार्यों के जरिए भी शहर पर बढ़ रहे दबाव को कम करने का प्रयास किया जा रहा है।

चंडीगढ़ में 1 जून को लोकसभा चुनावों के लिए मतदान होना है। पिछले दो चुनाव से यहां भाजपा विजयी होती रही है। निवर्तमान भाजपा सांसद और फिल्म अभिनेत्री किरण खेर को पार्टी ने इस बार उम्मीदवार नहीं बनाया है और स्थानीय नेता संजय टंडन को अवसर प्रदान किया है। संजय टंडन लंबे समय से चंडीगढ़ भाजपा के विभिन्न पदों पर काम कर चुके हैं और अब तक वह पार्टी के उम्मीदवारों को चुनाव लड़ाते रहे हैं।

इस बार संजय टंडन खुद चुनाव मैदान में हैं। उनका मुख्य मुकाबला कांग्रेस नेता मनीष तिवारी से है। मनीष तिवारी तीसरी बार लोकसभा पहुंचने के लिए इस बार चंडीगढ़ से चुनावी मैदान में हैं। मनीष तिवारी जिस तरह हर बार अपनी सीट बदल लेते हैं उसको देखते हुए भाजपा उन्हें प्रवासी पक्षी करार दे रही है। भाजपा उम्मीदवार संजय टंडन का कहना है कि मैं यहां बचपन से हूं जबकि मनीष तिवारी चुनाव के दौरान यहां आए हैं। प्रभासाक्षी की चुनाव यात्रा के चंडीगढ़ में पड़ाव के दौरान उन्होंने हमसे बातचीत में कहा कि हम यहां दशकों से जनता के बीच में रहते हुए उनके मुद्दे हल कर रहे हैं इसलिए हमें यहां की समस्याओं के बारे में पूरी जानकारी है जिनके समाधान के लिए हम पहले दिन से काम करेंगे। संजय टंडन ने अपने क्षेत्र के लिए विकसित भारत, विकसित चंडीगढ़ नाम से एक संकल्प पत्र भी जारी किया है। इसमें उन्होंने रोजगार के अवसरों का सृजन करने, महिला सुरक्षा पर विशेष ध्यान देने, महिलाओं के लिए पिंक स्पेशल बसें चलाने, चंडीगढ़ के बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने के लिए तमाम तरह के विकास कार्य करवाने, शिक्षा और स्वास्थ्य की सुविधाएं बढ़वाने जैसे वादे किए हैं। साथ ही संजय टंडन ने कहा है कि वह सांसद निर्वाचित होने पर हर क्षेत्र से कुछ अनुभवी लोगों को अपनी टीम में रख कर सभी क्षेत्रों के समुचित विकास के लिए कदम उठाएंगे।

वहीं मनीष तिवारी ने संजय टंडन के संकल्प पत्र का मजाक उड़ाते हुए शहर की सभी समस्याओं के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने यहां तक कि भाजपा के खिलाफ एक लंबा चौड़ा आरोप पत्र भी जारी किया है। घर घर संपर्क अभियान के दौरान वह कांग्रेस के घोषणापत्र में किए गए वादों जैसे कि पहली नौकरी पक्की, एमएसपी गारंटी कानून, महिलाओं को साढ़े आठ हजार रुपए महीना देने की याद भी दिला रहे हैं। वहीं संजय टंडन का कहना है कि जनता मोदी की गारंटी पर भरोसा करती है और विकसित भारत संकल्प के साथ है।

हम आपको बता दें कि पंजाब में जहां आम आदमी पार्टी और कांग्रेस एक दूसरे के खिलाफ लड़ रही हैं वहीं चंडीगढ़ में ये दोनों पार्टियां मिल कर चुनाव लड़ रही हैं। सीपीएम का समर्थन भी मनीष तिवारी के साथ है। मनीष तिवारी अपने चुनाव प्रचार के दौरान कह रहे हैं कि भाजपा को जाने वाला वोट दरअसल अनिल मसीह को जायेगा। हम आपको याद दिला दें कि चंडीगढ़ मेयर चुनाव के दौरान पीठासीन अधिकारी के रूप में कार्य करते हुए अनिल मसीह मतपत्रों के साथ छेड़छाड़ करते हुए कैमरे पर पकड़े गए थे। उन्हें इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से फटकार भी खानी पड़ी थी। भाजपा ने इस पूरे मामले से अपना पल्ला झाड़ लिया था लेकिन अनिल मसीह के वायरल वीडियो ने भाजपा को बैकफुट पर ला दिया था। चुनाव प्रचार में मनीष तिवारी उसी वीडियो का हवाला देते हुए मतदाताओं को जागरूक कर रहे हैं।

इस बार के चुनाव में खास बात यह है कि अपने उम्मीदवार के प्रचार के लिए ना तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चंडीगढ़ आए ना ही राहुल गांधी। जबकि 2014 और 2019 के चुनाव में दोनों ही नेताओं ने चंडीगढ़ में प्रचार किया था। इस बार भाजपा उम्मीदवार के प्रचार के लिए जहां कई केंद्रीय मंत्री, विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री और पार्टी संगठन के पदाधिकारी आए वहीं कांग्रेस उम्मीदवार के लिए भी शशि थरूर, भूपेश बघेल समेत पार्टी के तमाम आला नेता प्रचार के लिए आए। मनीष तिवारी के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी वोट मांगे।

जब हमने स्थानीय जनता से बात की तो अधिकांश लोगों ने कहा कि देश जिस तरह आगे बढ़ रहा है उस गति को बनाए रखने के लिए मोदी सरकार का सत्ता में बने रहना जरूरी है। कई लोगों ने यह भी कहा कि बेरोजगारी और महंगाई को दूर करने में मोदी सरकार ने ज्यादा काम नहीं किया इसलिए हम सरकार बदलना चाहते हैं। हालांकि पहली बार वोट देने जा रहे लोगों की पहली पसंद भाजपा दिखी। युवाओं का कहना था कि भाजपा की नीतियां सही है क्योंकि वह सबको आत्मनिर्भर बनाना चाहती है। महिला मतदाताओं की पहली पसंद भी भाजपा ही दिखी।


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