अब सिर्फ यादों में मुनव्वर राना, मुशायरों में नहीं गूंजेगी आवाज, लखनऊ में हुआ इंतकाल
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मुनव्वर राणा का निधन: ‘जब तक है डोर हैंड में तब तक का खेल, समझिए तो आपने पतंगें कटी हुई हैं।’ अपनी ही लिखी ये पंक्तियां हमें सुनने के लिए मशहूर शायर मुनव्वर राना अब हमारे बीच नहीं हैं। वह अब हमारी यादों में हैं। रविवार रात उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित संजय गांधी महाविद्यालय आयुर्वेद संस्थान (एसजीपीजीआई लखनऊ) में उनका इंतकाल हो गया। वह लम्बे समय से बीमार थे। दीगर है कि मुनव्वर राना ने मां और देश के गरीबों पर जो ‘मुजाहिरनामा’ लिखा था, वह आज भी लोगों की जामा पर है।
26 नवंबर 1952 को मुनव्वर राणा का जन्म 26 नवंबर 1952 को साहित्य अकादमी से हुआ था। उनकी कविता ‘शहदाबा’ साहित्य अकादमी के लिए मिली थी। वर्ष 2012 में उन्हें उर्दू साहित्य में शहीद शोध संस्थान के लिए उनकी सेवाओं के लिए माटी रत्न सम्मान से सम्मानित किया गया था। राना 71 वर्ष के थे.
क्रोनिक किडनी रोग से पीड़ित थे शायर मुनव्वर राणा
मुनव्वर राणा क्रोनिक किडनी रोग से पीड़ित थे। लखनऊ के एसजीपीजीआई में इलाज चल रहा था। मुनव्वर राणा काफी दिनों से सपोर्ट सपोर्ट पर थे.
अपने जीवन का बड़ा वक्त पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में रहने वाले राणा अपनी काव्यात्मक शैली में हिंदी और अवधी का प्रयोग सबसे ज्यादा करते रहे।
अंत में आये मुनव्वर
मुनव्वर राणा कई प्लास्टर पर चर्चा और राष्ट्रवादी का हिस्सा बने। साल 2015 में यूपी स्थित दादरी में अखलाक की मॉब लिंचिंग की हत्या के बाद उन्होंने अपना साहित्य अकादमी पुरस्कार वापस कर दिया था। वहीं वर्ष 2014 मई में सुपरमार्केट एसपी सरकार ने राणा को उत्तर प्रदेश अरबिया अकादमी का अध्यक्ष नियुक्त किया था। हालाँकि उन्होंने अकादमी में आरोप लगाते हुए पद छोड़ दिया था।
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मुलायम सिंह यादव ने बनाया शोक
मुनव्वर राना के इंतकाल पर सपा नेता अखिलेश यादव ने शोक व्यक्त किया। उन्होंने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा-
तो अब इस गांव से
रिश्ता हमारा ख़त्म हो गया है
फिर ओके खोल ली ओ कि
सपना ख़त्म हो जाता है.
देश के जानेमाने शायर मुन्नवर राणा जी का निधन अत्यंत हृदय विदारक। आस्थावान आत्मा की शांति की कामना।भावभीनी श्रद्धा।
सोमवार को व्यवस्थापक-ए-खाके जाना
राणा की बेटी सोमैया राणा को बताया गया कि उनके पिता का रविवार देर रात लखनऊ स्थित संजय गांधी पारसनातक आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजेपीजीआई) में निधन हो गया। वह पिछले काफी समय से गले के कैंसर से पीड़ित थीं।
उन्होंने बताया कि राणा को सोमवार को अपनी वसीयत के कहने पर नयूमनगर में मजीद-ए-खाक करना होगा। सोमैया ने बताया कि उनके परिवार में उनकी मां, चार बहनें और एक भाई हैं। हिंदुस्तान के सबसे मशहूर शायरों में गाने वाले मुनव्वर राना की नज्म ‘मां’ का अरबी साहित्य जगत में एक अलग जगह है।
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