मालदीव को चीनी कर्ज तले दबा रहे मुइज्जू, बीजिंग से लगा झटका तो भारत की आई याद
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भारत-मालदीव संबंध: मोहम्मद मुइज्जू के प्रेसिडेंट बनने के बाद से कॉन्स्टेबल चीन के साथ वफादारी जारी है, दूसरी तरफ कॉन्स्टेंसी प्रॉसेस को कर्ज़ दबाए रखा जा रहा है। कुरसी पर स्थित मुइज्जू ने अपने दशकों पुराने दोस्त भारत से दूरी बना ली, जिसपर अमेरिका ने भी स्पष्ट रूप से चिंता व्यक्त की। विदेशी हिंद महासागर में प्रतिष्ठा काफी महत्वपूर्ण है, लेकिन बीजिंग और माले की दोस्ती में चीन को ही फायदा हो रहा है। इसके पहले तानाशाही के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के समय भी व्यापारिक कंपनी के लालच में आया था, लेकिन अब पूरी तरह से चीनी कर्ज़ ख़त्म हो गया है।
साल 2024 में चीन के बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिवा प्रोजेक्ट का हिस्सा बना था, इसके बाद चीन के कोलोराडो से 1.4 अरब डॉलर का लोन ले लिया गया। यानी व्यापारी ने अपने कुल लोन का 20 फीसदी सिर्फ चीन से लिया है। ऐसे में अब चीन की हर बात पर दबाव डाला जा रहा है। बाकी अब कंपनी के जासूस जहाज़ बंदरगाहों पर किराये पर हैं। हाल ही में चीनी जासूस जहाज का दो बार के बंदरगाह पर भुगतान किया गया है।
चीन-मालदीव कर रहे सैन्य अकादमी
चीन के लिए मानकीकरण पर जोर देना काफी अहम है, क्योंकि जिस समुद्री मार्ग पर आरोप लगाया गया है, उसी तरीके से चीन का 80 ब्रांडेड तेल आता है। क्योंकि व्यापारिक हिंद महासागर का सबसे संबद्ध समुद्री मार्ग है। कंसिस्टेंट चीनी कंपनी से दोस्ती मजबूत हो रही है। ग्राहकों का मानना है कि चीन इसी वजह से मुइज्जू के साथ मिलिटरी एक्सेप्ट कर रहा है।
कर्ज़ भुगतान में राहत भारत
साल 2023 में चुनाव के दौरान मोहम्मद मुइज्जू ‘इंडिया आउट’ पार्टी के साथ ही रेस्तरां की कुर्सी पर कब्जे में शामिल हुए थे। सुपरस्टार की सत्ता में आते ही उन्होंने भारतीय सैनिकों को बाजार से बाहर करने की बात कही। 9 मई तक सभी भारतीय सैनिक व्यापारी वापस भारत आ गये, लेकिन अब चीन के कर्ज तले दबने पर भी ऐसा महसूस हो रहा है। क्योंकि हाल ही में चीन ने ब्याज दर पर ऋण भुगतान में छूट से इनकार कर दिया था। दूसरी तरफ भारत दौरे पर आए उधारकर्ता के विदेश मंत्री मूसा जमीर ने कर्ज भुगतान में राहत की अपील की थी, जिसे भारत ने स्वीकार कर लिया।
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